ना जाना था ये मोहब्बत क्या है। सीखाया इंतज़ार के लम्हे ने ये मुकाम कैसा है।। रहा था हर पल पास जब भी वो मेरे। ना जाना था अहमियत उसकी अपने दिल में क्या है।। रहा है ना जब, वो अब मेरा। इंतज़ार कर रोता है अब ये दिल मेरा, मोहब्बत ऐसा हीं होता है क्या।। ♥️ Challenge-575 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।