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ऐ चाँद की किरणों जाओ न तुम उसको छु कर आओ न वो क

ऐ चाँद की किरणों जाओ न 
 तुम उसको छु कर आओ न 
वो कब कब क्या क्या करती है 
वो जागती है या सोती है 
वो किससे बातें करती है 
वो शाम को कैसी लगती है 
वो रात को कैसी दिखती है 
जब सोए कैसी लगती है 
जब जागे कैसी दिखती है 
 तुम चुपके चुपके जाओ न 
 तुम उसको छु कर आओ न  
हम उसके बिना अधूरे हैं
और जीना मुश्किल लगता है 
तुम कान में उसके कह देना 
कोई याद बहुत उसे करता है 
 ऐ चाँद की किरणों जाओ न. . 
 तुम उसका हाल बताओ न . .
ऐ चाँद की किरणों जाओ न 
 तुम उसको छु कर आओ न 
वो कब कब क्या क्या करती है 
वो जागती है या सोती है 
वो किससे बातें करती है 
वो शाम को कैसी लगती है 
वो रात को कैसी दिखती है 
जब सोए कैसी लगती है 
जब जागे कैसी दिखती है 
 तुम चुपके चुपके जाओ न 
 तुम उसको छु कर आओ न  
हम उसके बिना अधूरे हैं
और जीना मुश्किल लगता है 
तुम कान में उसके कह देना 
कोई याद बहुत उसे करता है 
 ऐ चाँद की किरणों जाओ न. . 
 तुम उसका हाल बताओ न . .