It was raining outside सरसराती धुपने चुपके से कुछ कहा.. बादलों की घनी छावने रोकर सब कुछ कहा.. बिज़ली की कडकडाहट़ चमक उठी धीरे से बुंदे भी महक़ उठी.. बादल गरजे ,बिज़ली चमकी,बुंदे बरसने लगी सावन आया सावन आया कोयल गाने लगी मयुर पंख पसारे नाचने लगा.. बुंदे बिखरने लगी मिट्टी नाचने लगी गिला आंगन गिली मिट्टी बाह़ पसारे खड़ी रही मौसम आते रहे मौसम जाते रहे पतझ़ड की मौनी डाल पे वक्तने बेवक्त करवट ली गिरते रहे पत्ते आंगन की सेजपे सजते रहे फुल पतझ़ड में भी डाल पे फिर सावन की सरसराती धुपने करवट बदली बादलों की बिस्तर में से बिजली चमक उठी.. सावन आया सावन आया.. बारिश के गीत