कुरकुरू गुम्मा पाथिये, सबरे पेड़े काट। लकड़ी मिले न रोटी को, न दरवाजे खाट।। न दरवाजे खाट, साफ हवा न पाना। पेड़ काटने वाले, न एक पेड़ लगाना।। कह सुआटा सम्राट, घोर है कलयुग आया। तचती छतें चाहिए, न चाहिए पेड़ की छाया।।