सुनहरे गोबर की कहानी
बहुत समय पहले की बात है. एक पर्वतीय प्रदेश में महाकाय वृक्ष था, जिस पर सिन्धुक नामक पक्षी निवास करता था. उस पक्षी की विशेष बात ये थी कि उसकी विष्ठा में स्वर्ण-कणों का समावेश होता था.
एक दिन एक व्याध उस पर्वतीय प्रदेश में आखेट के लिए आया. उसे ज्ञात नहीं था कि सिन्धुक पक्षी की विष्ठा स्वर्ण-कण युक्त होती है. जब वह महाकाय वृक्ष के निकट से गुजरा, तो उसकी चेष्टा सिन्धुक पक्षी को पकड़ने की नहीं थी. किंतु, जैसे ही वह आगे बढ़ने लगा, सिन्धुक पक्षी के मूर्खता की और उसके सामने ही स्वर्ण-कण युक्त विष्ठा कर दी.
स्वर्ण-कण युक्त विष्ठा देखते ही व्याध में लोभ आ गया और जाल डालकर उसने सिन्धुक पक्षी को पकड़ लिया.
घर आकर उसने उसे एक पिंजरे में बंद कर दिया. किंतु, पूरी रात वह सो नहीं पाया. वह सोचता रहा कि यदि किसी तरह इस सिन्धुक पक्षी पक्षी और इसके स्वर्ण-कण युक्त विष्ठा की बात राज्य के राजा तक पहुँच गई, तो राजा उसे दंडित कर देगा. वह भयभीत हो गया. #पौराणिककथा