चाहत थी उछल के छूने की आसमां को, पर उसके वास्ते बौना बना दिया ख़ुद को । उसे तो बस मुझसे खेलने की ख्वाईश थी, इसलिये मैंने खिलौना बना दिया ख़ुद को ॥ मनीष 'मयूर' #इश्क़_खेल_चाहत_हक़ीक़त_शायरी