पैर नहीं है मेरे पास तभी जिंदगी जी रहा हूं मुझे पैसों की कम हौसलों की ज्यादा जरूरत है लेकिन हौसले देने वाली नहीं रहे क्योंकि इंसान इंसान के नहीं रहे ©sachu yadav दिव्यांग कविता #walkingalone