मालूम नहीं ये कौन सी हवा चल रही है, भूख सड़कों पर नंगे पावँ निकल रही है, वो नहीं समझ पाए उनका कसूर क्या था, कर्मभूमि पर रहकर उनका वजूद कहाँ था, दिल में अपनों से मिलने की आस थी, महानगर की जिंदगी अब उदास थी, निकल पड़े चुपचाप अपने गांव की ओर, हैं आँखों में आंसू कोई सुन ले उनका शोर, न जाने ये सफर कब खत्म होगा, गरीब मजदूर का संघर्ष कैसे कम होगा। मालूम नहीं! #मालूमनहीं #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #drnehagoswami