मुस्कुराते हुये दिल की बात लिखूं या सपनों की सौगात लिखूं अधूरी तनहा रात लिखूं या फिर दिल से निकली अल्फाज से,अपना हाल-ए-दिल लिखूं उनकी मुलाकात लिखूं या फिर मोहब्बत की बात लिखूं यह बो कर रही है मुझ पे सितम ऐसी हालात लिखूं अपना हक जाताऊ,यह फिर हद से ज्यादा उस पे प्यार लुटाऊ या वफा की हर एक वादे निभाऊ या फिर अपनी मोहब्बत की विश्वास की डोर को अजमाऊ ©R A अपने अल्फाजों से अपनी #Books #अल्फ़ाज़ #Jikar_eJajbaat