जीवन प्रणाघातो से लड़कर, संघातों से फिर बच बच कर। दुःख दानव पीड़ा को सह कर, शक्ति पुरुष छाया रच रच कर। विष पीते खुद पीड़ा हर कर, पिता मेरे बरगद बन बन कर। ©Ajay Amitabh Suman पिता #Micro_Poetry #Short_Poetry #Laghu_Kavita #लघु_कविता #क्षणिका