लो फिर टींस मारा ग़मों ने۔ अब उठा लूं क़लम۔۔۔۔ ये दर्द की ख़ुशामद है۔۔ सूखे नैनों पे ۔۔۔ आंसूवों की आमद-आमद है۔ आ बढ़ा ले क़दम धीमी-धीमी۔ खुसूसन तू,अय यार ए "इब्राहिमी" लोग कहते है۔۔۔ मैं इन हालात में शायरी अच्छा करता हूं۔ shadab AL ibrahimi Rab khayr kare....