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तेरी बुराइयों को हर अख़बार कहता है, और तू मेरे गा

तेरी बुराइयों को हर 
अख़बार कहता है,
और तू मेरे गांव को 
गँवार कहता है ।

ऐ शहर मुझे 
तेरी औक़ात पता है,
तू चुल्लू भर पानी को भी
वाटर पार्क कहता है ।

थक गया है हर शख़्स 
काम करते करते ,
तू इसे अमीरी का 
बाज़ार कहता है। गांव चलो वक्त ही 
वक्त है सबके पास ,
तेरी सारी फ़ुर्सत तेरा 
इतवार कहता है ।

मौन होकर फोन पर 
रिश्ते निभाए जा रहे हैं ,
तू इस मशीनी दौर को 
परिवार कहता है ।

जिनकी सेवा में खपा 
देते थे जीवन सारा,
तू उन माँ बाप को 
अब भार कहता है ।

बैठ जाते थे अपने 
पराये सब बैलगाडी में,
पूरा परिवार भी न बैठ पाये 
उसे तू कार कहता है ।

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संपूर्ण - अज्ञात #मेरा गांव
तेरी बुराइयों को हर 
अख़बार कहता है,
और तू मेरे गांव को 
गँवार कहता है ।

ऐ शहर मुझे 
तेरी औक़ात पता है,
तू चुल्लू भर पानी को भी
वाटर पार्क कहता है ।

थक गया है हर शख़्स 
काम करते करते ,
तू इसे अमीरी का 
बाज़ार कहता है। गांव चलो वक्त ही 
वक्त है सबके पास ,
तेरी सारी फ़ुर्सत तेरा 
इतवार कहता है ।

मौन होकर फोन पर 
रिश्ते निभाए जा रहे हैं ,
तू इस मशीनी दौर को 
परिवार कहता है ।

जिनकी सेवा में खपा 
देते थे जीवन सारा,
तू उन माँ बाप को 
अब भार कहता है ।

बैठ जाते थे अपने 
पराये सब बैलगाडी में,
पूरा परिवार भी न बैठ पाये 
उसे तू कार कहता है ।

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संपूर्ण - अज्ञात #मेरा गांव
navingupta1061

Navin Gupta

New Creator