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प्रकृति तुझे नमन करूँ और सौ बार वंदन करूँ तेरी त्य

प्रकृति तुझे नमन करूँ और सौ बार वंदन करूँ
तेरी त्यागपूर्ण प्रकृति का मैं हृदय से अभिनंदन करूँ

तूने प्रेम से हमको पाला है, नित नित हमें संभाला है
तेरे सजदे में यूँ झुका रहूँ या थाम तुझे आलिंगन करूँ

दरख़्तो का उपकार हैं जो ये जीवन है संसार है
लेकिन इनकी घटती आबादी का कैसे मैं प्रबंधन करूँ

नदियों ने बचपन तैराया, निरंतर पानी पिलवाया
अब जहर घुला उन नदियों में भला कैसे अमृतपान करूँ

चंचल पंछी मंडराते थे छत पर और घर आंगन में
फिर से आए वो मेरे आंगन तो थाम उसे मैं चुंबन करूँ

तू हरदम प्यार लुटाती है और सहनशील बन जाती है
मैं आपदा को निमंत्रण देकर खुद ही आपदा प्रबंधन करूँ

#चौबेजी
प्रकृति तुझे नमन करूँ और सौ बार वंदन करूँ
तेरी त्यागपूर्ण प्रकृति का मैं हृदय से अभिनंदन करूँ

तूने प्रेम से हमको पाला है, नित नित हमें संभाला है
तेरे सजदे में यूँ झुका रहूँ या थाम तुझे आलिंगन करूँ

दरख़्तो का उपकार हैं जो ये जीवन है संसार है
लेकिन इनकी घटती आबादी का कैसे मैं प्रबंधन करूँ

नदियों ने बचपन तैराया, निरंतर पानी पिलवाया
अब जहर घुला उन नदियों में भला कैसे अमृतपान करूँ

चंचल पंछी मंडराते थे छत पर और घर आंगन में
फिर से आए वो मेरे आंगन तो थाम उसे मैं चुंबन करूँ

तू हरदम प्यार लुटाती है और सहनशील बन जाती है
मैं आपदा को निमंत्रण देकर खुद ही आपदा प्रबंधन करूँ

#चौबेजी
choubeyjii6354

Choubey_Jii

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