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क्यूं इन हवाओं में, वो आज भी महकती है, क्यूं इन घट

क्यूं इन हवाओं में,
वो आज भी महकती है,
क्यूं इन घटाओं संग,
वो आज भी बरसती है,
क्यूं दरमियाँ रेत के,
वो मुट्ठी से फिसलती है,
क्यूं नम आंखों से,
वो आज भी छलकती है,,, #nojoto#poem#love#feud#disapproval
क्यूं इन हवाओं में,
वो आज भी महकती है,
क्यूं इन घटाओं संग,
वो आज भी बरसती है,
क्यूं दरमियाँ रेत के,
वो मुट्ठी से फिसलती है,
क्यूं नम आंखों से,
वो आज भी छलकती है,,, #nojoto#poem#love#feud#disapproval
pat1060713175079

parijat

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