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बूँद-बूँद पसीने की जब मिट्टी में मिल जाती है चींख-

 बूँद-बूँद पसीने की जब
मिट्टी में मिल जाती है
चींख-चींख गगनचुम्बियां
श्रम आभास कराती हैं

रचनाकार बन जाता जब
ब्रम्ह आभास कराती हैं
भू में भूधर-सी इमारतें
 बूँद-बूँद पसीने की जब
मिट्टी में मिल जाती है
चींख-चींख गगनचुम्बियां
श्रम आभास कराती हैं

रचनाकार बन जाता जब
ब्रम्ह आभास कराती हैं
भू में भूधर-सी इमारतें
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ANIL KUMAR

New Creator