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हम खुदगर्ज़ हो गए, बदलना तो चाहा नही कभी पर पतों

हम खुदगर्ज़ हो गए, 
बदलना तो चाहा नही कभी
पर पतों की ओस सा पिघल 
अब पाषाण हो गए ।
कभी दूसरों को तबजो दिया करते थे 
आज खुद को नसीहत दे रहे,
पहले नज्म लिखा करते थे 
आज गज़ल हो गए, 
हम खुदगर्ज़ हो गए ।


महफिलो की शान हुआ करते थे, 
आज काफिलो मे गुमनाम हो गए 
दुनियाँ की सच्चाई से रूबरू क्या हुए,
हम फरेब और बेईमान हो गए ।
खुद को जरा पेहचान ना क्या सिखा,
हम तो सबके बीच अनजान बन गए, 
हम खुदगर्ज़ और बेईमान हो गए ।
हम खुदगर्ज़ हो गए, 
बदलना तो चाहा नही कभी
पर पतों की ओस सा पिघल 
अब पाषाण हो गए ।
कभी दूसरों को तबजो दिया करते थे 
आज खुद को नसीहत दे रहे,
पहले नज्म लिखा करते थे 
आज गज़ल हो गए, 
हम खुदगर्ज़ हो गए ।


महफिलो की शान हुआ करते थे, 
आज काफिलो मे गुमनाम हो गए 
दुनियाँ की सच्चाई से रूबरू क्या हुए,
हम फरेब और बेईमान हो गए ।
खुद को जरा पेहचान ना क्या सिखा,
हम तो सबके बीच अनजान बन गए, 
हम खुदगर्ज़ और बेईमान हो गए ।
niharikasharma2300

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