शहर कभी कभी तो इतनी रुसवाई हो गई है तुमसे की कई बार अपने ही शहर को छोड़ कर कई शहरों मे जा बसे है हम मगर क्या कहने तेरी इश्क के सैलाब से महोबत-ए सरूर के की कुछ दिनों से जायदा वहा रहा नहीं जाता! लेकिन तुजमे अभिमान-ए गारूर ही इतना है ही की तू कभी भी हमसे मिलना तक नहीं चाहता ! एक हम है की महलों को छोड़ कर भी तुझमें ही अपना छोटा सा आशियां बनाना है चाहते! ना जाने क्यों हमारे लिए तेरा यह बंजर सा विरान बाघ भी हमे खुशनुमा खूबसूरत बागीचा सा लगता है! पानी डाल डाल कर माली सा हो चला है (Randhawa)कमबखत फूल है की खिलने का नाम ही नहीं ले रहे!! ©Pagal Shayar #SAD #rAAhi✍️✍️ #Saffar #Dard #Dard_e_dil #Rusvai #Zindagi #Love #aadhurapyar #शहर