क्या आपको पता है, आप जो भी कुछ सोचते हो; वह हमारे भौतिक जीवन में प्रकट होता जाता है। शायद आप किसी बुरी परिस्थिति, कर्ज या बीमारी के विषय में चिंतित हो; यह आपके जीवन में उस चीज को बढ़ा देगी, जिस का चित्र आप अपने दिमाग में; चिंता के द्वारा परिकल्पना करते हो। आइए आज इसे हम परमेश्वर के वचन से समझते हैं , आज का विषय है ..! किसी भी बात की चिंता मत करो ।
इसलिये तुम चिन्ता करके यह न कहना, कि हम क्या खाएँगे , या क्या पीएँगे , या क्या पहिनेंगे ? क्योंकि अन्यजाती इन सब वस्तुओं की खोज में रहते हैं। पर तुम्हारा स्वर्गीय पिता जानता है; कि तुम्हें इन सब वस्तुओं की आवश्यकता है ।( मत्ती ६ ; ३१-३२ ) । क्यूँ किसी भी व्यक्ति को इसे पढ़कर, जीवन में किसी भी वस्तु के विषय में कुड़कुड़ाना चाहिए ? जिसने आपसे आने वाले कल के विषय में चिंता ना करने को कहा है , वह आने वाले कल का मालिक है ; वह जानता है कि सर्वश्रेष्ठ जीवन के लिए; हर वस्तु जो आपको चाहिए। वह पहले ही उपलब्ध की जा चुकी है । इसलिए , तनाव और चिंता के द्वारा , बोझित होना मना कर दीजिए । अपने काम , परिवार , व्यवसाय , धन, या किसी भी वस्तु के विषय में चिंता मत कीजिए । चिंता छुपा हुआ डर है । यह नकारात्मक संभावनाओ का डर है ; अनैच्छिक परिणामो की निश्चितता है । डर अपने चित्रों को खिंचता है । उदाहरण के लिए; अगर आप बीमार होने के विषय में लगातार चिंता करते रहेंगे: तो आप जल्दी ही बीमार हो जाएंगे । चिंता की दवाई परमेश्वर के वचन में जीना है । यीशु ने कहा , “ हे सब परिश्रम करनेवालो और बोझ से दबे हुए लोगो , मेरे पास आओ ; मैं तुम्हें विश्राम दूंगा । मेरा जुआ अपने ऊपर उठा लो , और मुझ से सीखो ; क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन हूँ : और तुम अपने मन में विश्राम पाओगे । क्योंकि मेरा जूआ सहज, और मेरा बोझ हलका है ” ( मत्ती ११ ; २८-३० ) । फिलिप्पियो ४ ; ६ कहता है , “ किसी भी बात की चिन्ता मत करो ; परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन , प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख उपस्थित किए जाएँ । वचन पर काम कीजिए । चिंता करने की बजाय , जो कुछ आपको चाहिए उसको ग्रहण कीजिए , और मसीह की विजय , अनुग्रह और बहुतायत के प्रावधान की चेतना में चलिए । मसीह यीशु में, संपूर्ण आनंद और परिपूर्णन के पूरे जीवन से; कुछ भी छोटा आपके लिए परमेश्वर का सर्वश्रेष्ठ नही है । इब्रानियो ४;३ कहता है , “ परन्तु हम जिन्होंने विश्वास किया है , उस विश्राम में प्रवेश करते हैं ; जैसा उसने कहा ... " । परमेश्वर ने मनुष्य को बना