मेरी सूनी गोदी में आके, किलकारी कर तूने खेला है, सूना सूना आँगन, तूने हसीं ठिठोले का डारा डेरा है। मातृत्व जगाया मुझमें, परि पूर्ण हुई आने से मैं तेरे, चहूँ ओर है फ़ैला खिलौना, तूने हर सामान बिखेरा है।। सूने घर को आबाद किया, तुझपे जीवन निसार दूँ। आ जा मेरे बेटे राज दुलारे, तुझको मैं लाड़ लगा लूँ।। मांँ बेटे के नाते का तुमने, स्नेह का डोर खींचा है, माँ कहकर तुमने, वात्सल्यता से मुझको सींचा है। भूल गई सारे रिश्ते नाते, जबसे कोख में तू आया, मेरा अंश मेरा बीज, तेरा स्थान बेटा सबसे ऊँचा है। आ मेरे कलेजे के टुकड़े, तुझको जी भरके प्यार दूँ आ जा मेरे बेटे राज दुलारे, तुझको मैं लाड़ लगा लूँ।। नज़र ना लगे तुझे जमाने की, अपने आँचल में छुपा लूँ तेरी सूरत पे मैंने, अपनी ममता का सारा कोष लूटा दूँ। जब से आया गोद में मेरे तू बेटे, मैंने ये जग बिसराई है, तुम्हें निहारे बस अंखियाँ मेरी, सीने से तुझे लगा लूँ।। लगा कर काला टीका, आ बेटे तेरी नज़र उतार दूँ। आ जा मेरे बेटे राज दुलारे, तुझको मैं लाड़ लगा लूँ पीकर छाती का अमृत , मेरे स्त्रीत्व को धन्य किया है, अपने नटखटपन में, तूने मुझको मेरा बचपन दिया है। हुई मेरी उमरिया लम्बी, सुन कर तेरी तोतली बतिया, राम कृष्ण बनके, यशोदा कौशल्या जैसा मान दिया है।। तू मेरा जीवन, तुझ पर मैं तो अपना सर्वस्व लूटा दूँ। आ जा मेरे बेटे राज दुलारे, तुझको मैं लाड़ लगा लूँ।। #kkकाव्यमिलन #कोराकाग़ज़काव्यमिलन #काव्यमिलन_5 #विशेषप्रतियोगिता #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #neha_ram