फरेब से मन्नते पूरी की जा रही होती तो दुनिया सच्ची मोहहबत में ही क्यू पड़ती फरेब से सिर्फ जिस्म की प्यास बुझाई जा सकती है ओर सच्ची मोहहबत के पहिए प्यास से नही प्यार से चलते है