Nojoto: Largest Storytelling Platform

सुनो यारो- बहुत तकलीफ होती है, हिज्र-ओ-फ़िराक़ जीने

सुनो यारो-
बहुत तकलीफ होती है, 
हिज्र-ओ-फ़िराक़ जीने में,
दर्द ही लिये मैंने दर्द ही लिखे मैंने,
दर्द के तस्सबुर में दर्द ही सहे मैंने,
दर्द में सुकूं गजब है,दर्द भी कुछ बे-अदब है,
दर्द जो समझता है,शख्स वो फरिस्ता है,
दर्द जो मुक़म्मल हो,
दर्द भी फिरबिकता है,
दर्द क्यो कहे जायें?
दर्द क्यो सुने जायें ?
दर्द ही क्यों लिखें जायें ?
दिल ही क्यों दियें जायें ? सुनो यारो......
सुनो यारो-
बहुत तकलीफ होती है, 
हिज्र-ओ-फ़िराक़ जीने में,
दर्द ही लिये मैंने दर्द ही लिखे मैंने,
दर्द के तस्सबुर में दर्द ही सहे मैंने,
दर्द में सुकूं गजब है,दर्द भी कुछ बे-अदब है,
दर्द जो समझता है,शख्स वो फरिस्ता है,
दर्द जो मुक़म्मल हो,
दर्द भी फिरबिकता है,
दर्द क्यो कहे जायें?
दर्द क्यो सुने जायें ?
दर्द ही क्यों लिखें जायें ?
दिल ही क्यों दियें जायें ? सुनो यारो......
purushottamsharm3454

P.k. Sharma

New Creator