–जलहरण घनाक्षरी छंद – स्वप्न अच्छे दिन का जो देशवासियों ने देखा आंँतों लगी आग ये बुझाऊंँ कैसे बोलो जी... बीता है दशक प्रतियोगी का तैयारी में तो अपने डिग्रियों को मैं जलाऊंँ कैसे बोलो जी... कई थी संस्थाएं जब की तैयारी शुरू... सारी आज बिक रही बताऊंँ कैसे बोलो जी.. छप्पन की छाती ने ही देश को छला है आज खोया है सितारा जो दिखाऊंँ कैसे बोलो जी... ©दीपक झा रुद्रा #हिंदी_छंद #घनाक्षरी #Journey