सब गुनाहों में हो तुम भी शामिल, शौक से मुॅंह छुपाया करो तुम। मेरी हालत पर जो तुम हो हॅंसते ख़ुद को कातिल बताया करो तुम। मुझे देकर के कैद अपने दिल की, ख़ुद को ज़ालिम बताया करो तुम। प्यार बाकि मेरे हिस्से का जो, मरने पहले जताया करो तुम। गुल खिले हैं, गुलिस्ता में सौ ², मेरी जानिब न आया करो तुम। शायरी में हमारी क्या पाओ, दिल की धक² चुराया करो तुम। नक्शे लेकर के अपनी शक्ल के, मुझको मंज़िल, घुमाया करो तुम। भाग्य देकर मेरे लफ़्ज़ों को तुम, ग़ज़ल-ए-बैराग गाया करो तुम। "गर्दिशो के हैं मारे हुए" की तर्ज़ पर नुसरत फतेह अली खान साहब की आवाज में गाया हुआ, एक बार गाकर तो देखें सब गुनाहों में हो तुम भी शामिल, शौक से मुॅंह छुपाया करो तुम। मेरी हालत पर जो तुम हो हॅंसते ख़ुद को कातिल बताया करो तुम।