लिये फिरते हो दिल अपना यूं अपने हाथ में जाना कोई गर, पूछ बैठेगा तो बोलो, कहोगे क्या। है क्यों बैचेनी, चेहरे पर ढूंढती हैं, किसे नजरें सबब इन रतजगी आंखों का छुपाओगे, भला कहां। लक्ष्मी थपलियाल #Moon #लिये_फिरते_हो #पूछ #दिल_अपना #रतजगी #छुपाओगे #भला_कहां #बैचेनी #ढूंढती #नजरें