साथ रहकर बिछड़ने का, मजा ही कुछ और है। चलते - चलते रहडगर में गिरने का, मजा ही कुछ और है।। चलो आंधियों से लड़ने का तरीका सिखाता हूं। वही बताएंगी कि जी - जीकर मरने का, मजा ही कुछ और है।। आओ दरारों पे मरहम लगाते चलें। मुसीबतों की आदतों को चोटिल को बनाते चलें।। बहुत चल लिया समाज की बेड़ियों में बंधकर । चलो उन्हें तोड़, नई लकीर खिंचाते चलें।। गर्मी में बैठे - बैठे सिहर उठने का मजा ही कुछ और है। साथ रहकर बिछड़ने का मजा ही कुछ और है।। जलती आग में तपने का, गर्मी की धूप में सिकने का । ओस की ओट में चेहरे का खिलने का ।। बहुत सताते है ज़ख्म अपनो के फिर भी । चुपके से रों लेना, उनके सामने हंसने का ।। मज़ा ही कुछ और है। साथ रहकर बिछड़ने का, मज़ा ही कुछ और है।। #NojotoQuote ® ®