तुम खामखा हमारे दिल के ख्वाब क्यों जगा रहे हो... जब भी नजरें टकराये तो गुजारिश है मुह फेर लेना, जब भी नजरें टकराये तो गुजारिश है मुह फेर लेना तुम खामखा मेरे दिल के ख्वाब क्यों जगा रहे हो ये जानकर भी की वो मुहब्बत ही क्या जो मुकम्मल हो जाए, ये जानकर भी की वो मुहब्बत ही क्या जो मुकम्मल हो जाए तुम क्यों हमारे सपनों में आग लगा रहे हो अगर तुम्हें जरा सा भी ध्यान हो, जब तुम्हें पहली दफा देखा था ना,अगर तुम्हें जरा सा भी ध्यान हो, जब तुम्हें पहली दफा देखा था ना तो इस छोटे से दिल ने न जाने कितने ख्वाब पाले थे दुनिया तो हमारी थम सी गई थी और इस तेज सरपट दौड़ने वाले दिमाग पर पड़ गए बड़े से पाले थे, पहले लगा कि ये प्यार है, पहली नजर का आकर्षण, संजोग या बचकानी हरकत कुछ कहा नहीं जा सकता, फिर धीरे धीरे जाना कि तुम किसी और की जान हो और ये भी जान चुके थे कि अब तो तुम्हारे बिना रहा नहीं जा सकता दिन बीतते गए और नजरें टकराती गई, दिन बीतते गए और नजरें टकराती गई