मैंने तुम्हें कुछ यूँ थामा है ... मैंने तुम्हें यों थाम है जैसे डोर कोई रिश्तो की हो डोर पतंग की लगती जैसे मेहनत फरिश्तों की हो यों जुड़ा है तू मुझ से लेकिन जैसे सांस मेरी किश्तों की हो मैंने तुम्हें यों थामा जैसे डोर कोई रिश्तों की हो #vkaushik #myfirstpost