कुछ नया नहीं आता दिमाग में आजकल, वह .. वह जो एक कवि देख पाता है या कोई चित्रकार। साधारण में असाधारण दिखता ही नहीं .. क्यूँ !! पता नहीं जैसे पानी के ऊपर तेल की परत। चढ़ गई है मन मष्तिष्क पर तेल सी परत.. किसकी !! लुहार की धौकनी सी ज़िन्दगी ये बस अपना काम खत्म करने की जद्दोजहद में .. फिर कैसे फुर्सत नजरिये टटोलने की । जो सतह पर हैं रिश्ते, डूबते उतराते से, प्रदूषित जैसे डढ़ेल तेल । फिर किसे फुर्सत हाथ मैले कर तली से नगीने ढूँढ लाने की । धौंकनी सी ज़िन्दगी कलम की शर्तों से बेमेल जाती सी .. कैसे करूँ ज़ुर्रत इस सखी से झूठ लिखवाने की । इसीलिए कुछ नया नहीं आता दिमाग में.. दिखता है सिर्फ मैला तेल । #trapped #kuchnaya #नजरिया #yqdidi #डढ़ेल_तेल