यहीं कुछ पंद्रह दिन पहले की बात है जिंदगी तो बदलसी गई हैं सुबह का जल्दी उठना टहलने को जाना आत्मविश्वास से जब छाए तब बाहर जाना पर अब नजाने क्यू एक डर सा लगता है लगातार इंसान की भेष मे छुपे भेड़ियों से डर लगने लगा है, अकेले होते वक़्त अनजानी चीखो का एहसास होता है आखिर कब होंगे हम आज़ाद अकेली लड़की, औरत या कोई बुजुर्ग महिला कब लेंगी खुली सास। अब तो ये आम हो गया शायद नोच कर उसे जला दालों दरिंदगी कब रुकेंगी?? कानून कब बदले गा?? We have to change... Yes I'm still scared... I live in shadow of fear... Without doing any wrong things I'm scared....#Disha#khushithehappiness #saveus#