अभी वक़्त बुरा है यारों, हम तुमको न दिखेंगे, क्या हमपे हुई तबाही, न तुमसे हम कहेंगे। वो क्या हंसी समा था, बचपन बड़ा जवां था, ये उम्र जो नई है, बदसीरत रूबरू मिलेंगे। मैं कुछ न बोलूं मुख से, है मौन मैंने साधा, रातों की तन्हाइयों में, किस्से कई लिखेंगे। बातें न दिल में रखना, अपनों से सब कह देना, कल का है क्या भरोसा, ये पल न फ़िर मिलेंगे। बेवफ़ा था यार मेरा, ले गया मेरा सवेरा, यादों का सिलसिला है जाने कब ही ये थमेंगे। है भरम ये कैसा पाला, अपनों ने आज़माया, कोई नहीं किसीका, चंद सिक्कों में सब बिकेंगे। ♥️ Challenge-741 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।