बहुत दिन हो गए तेरा नजर ही नहीं मिलता घटा छाई है रातों में सितारा ही नहीं मिलता और मैं बैठा इसी कश्ती में जो बिन पतवार है "गौरी" भटकती रहती है हरदम किनारा ही नहीं मिलता।। #anshugauri789