मेरी फितरत थी सबकी बातो को मानना लोगो में सहद सा मीठा था ।। वो सबकी ना माना करती थी लोगो में नीम सी कड़वी थी।। फर्क बस इतना था , में मधुमेह सा जहर बन गया ।। और वो अमृत सा बन गई ।। #अधूरा_इश्क