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कवितायेँ पौधों की तरह होती हैं, जिन्हें सींचना पड़त

कवितायेँ पौधों की तरह होती हैं,
जिन्हें सींचना पड़ता है कल्पनाओं की खाद से..!
कभी वास्तविकता के नीर से युक्त,
कभी मुक्त दिल और दिमाग़ के वाद-विवाद से..!

©SHIVA KANT(Shayar)
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