जब तक हम अपने अंदर चेतना का दिया नहीं जलाते तब तक यह ख़ाक-ए-बियाबां भी झूठी तसल्ली देगी। भीड़ हो या बियाबां, जगह तय नहीं करती सुकून को, वह तो बस मरीचिका है कुछ देर के लिए सब भुलाने को.. अगर तुम्हारी सोच को बदल सकूं तुम मुझे सच में सुकून का अहसास होगा #vibrant_writer कलम बोल रही हैं.... #with_neelima फ़सुर्दा--निराश,, बियाबान--वीराना,,,ख़ाक--मिट्टी,, कई बार शहर में रहते हुए भी दिल वहाँ के शोर शराबे से भागने का करता है,,मेरा तो हमेशा करता है,,सुकून तो वादियों,,जंगलों की शाँति में ही मिलता है,,💕💕 #yqdidi #Neelima_Singh #yqhindi #yqhindiurdu pc--google #YourQuoteAndMine Collaborating with Néélîmã Sîñgh