।। मुझे अपवित्र बुलाया जाता है... हर महीने इक दिन ऐसा आता है... मैं रोज़ पूजा करती हूं... पर तब मुझे मंदिर से दूर कराया जाता है... हां दुख होता है पर अब आदत सी है.. पूजा नहीं जाता पर हर महीने ये इबादत सी है... लोग धुत्तकार देते हैं शुभ कामों में मुझे... करनी पड़ती खुद की हिफ़ाज़त सी है... जब दाग़ कपड़ों पर लग सा जाता है.. शर्म से आंखों का पर्दा ढक सा जाता है... समाज और मर्द क्या कहेंगे... बस इस जग हंसाई पर शक सा जाता है... ये जो खून मेरा शरीर बहाता है... इन्ही के कारण तू पैदा हो पाता है... शर्म तो तुझे आनी चाहिए ए मर्द... तू इसे ही गंदगी बताता है....।। @alfaaz_2627 #periods