है ये जालिम जमाना कभी ना इन्हे आजमाना पहले घर से खोया मुझे अब छोड़ा ना एक भी ठिकाना पार्टी बनाई क्यूँ अब क्या डुंडु बहाना चप्पल भी बेवफा निकली बोली जरूरी था चश्मा तुड़ाना हरी से पीली हुई तुम्हारी फिर भी कमल पर कोई फर्क पड़ा ना won bjp