सुना है वो कहती है अब छोड़ दो ना हक़ जताना मुझपे अब छोड़ दो ना हक़ जताना मुझपे मैं किसी और की हो चुकी हूँ मैंने कहा सुन पगली जैसे सूरज का कोई वजूद नहीं होता रौशनी के बिना वैसे ही मैं रह नहीं सकता था तेरे बिना ऐ दिलबर कभी पर अब क्या करे तेरी यादों के सहारे जीना पड़ेगा क्योंकि अब तू भी न चाहते किसी और का हो गया है छोड़ दो न Sukh ghuman