मैं, दर्द में डूबा रहूँ, अब मुमकिन नही है, तेरे ही, ख़यालों में रहूँ, मुमकिन नही है... इंतेहा, की हद तक तड़पा हूँ, अब तलक़, जो, थोड़ा ख़ुदग़र्ज़ हो जाऊं, तो हर्ज़ नही है... मैं क्या कहूं, क्या क्या बदला है, वक़्त के साथ, हर इक, एहसास के लिए, अल्फ़ाज़ नही है... हां, ये लहज़ा, बेशक़, शिक़ायती है मेरा, की, और सहना, मेरे लिए, मुमकिन नही है... ©Bhushan Rao...✍️ #बेवजह_के_ख्याल Amita Tiwari sarika सत्य priya gour vks siyag rahil sudha tripathi kajalife dhyan mira antima jain