इस मन की भी परतें होती है, किसी प्याज सी, परत दर परत आँसू बढ़ते ही जाते हैं, ज्यूँ ज्यूँ आखिरी परत तक आते हैं, कलम भी कहाँ पहुंच पाती है उस आखिरी चोटिल परत तक, जिसकी कराह उजागर होने से भी भय खाती है। हर एक परत का अपना अलग रूप किसी अपने को समर्पित, और सबसे विशेष वह आखिरी परत किसी विशेष के लिए ही आरक्षित, और परम दुःखदायी फिर भी परम प्रिय वह एक विशेष उन दबी हुई कराहों से अनभिज्ञ । #yqdidi #hindiwriters #मन #मन_की_परत #प्याज #newwallpapers