ये दिल भी तो डूबेगा समंदर में किसी के हम भी तो लिखे होंगे मुकद्दर मे किसी के उस दिल के बहुत पास न इस दिल से बहुत दूर बैठे हुए हम होंगे बराबर मे किसी के। अब उसके बिना यूं हैं शब-ओ-रोज हमारे जैसे कोई दरवाजा न हो घर में किसी के । शायद कि किसी मिश्रा-ए-खुशरंग की सूरत हम भी नजर आ जाऐंगे मंजर में किसी के । ©hindin_line #Hinsa #Nature