ऐ ज़िंदगी बक्श दे कुछ दिन हम सबको,, कई नज़्म सुनाना बाकी हैं,,, रुक जा न,,ऐ ज़िंदगी,, तुझे तराशना बाकी है,, कोई है नाख़ुश कोई है खुश,, कई मर्म मिटाना बाकी है,, उधार ले रखी हैं साँसे भी तुझसे ही,, कई कर्ज़ चुकाना बाकी है,, कोई छोटा है हमसे रिश्तों में कोई है बड़ा वफाओं में,, उनसे करनी है बैठ के गुफ़्तगू,, कई फ़र्ज़ निभाना बाकी है,, हाथों में लेकर बैठे है हम जो डोर दूसरों की,, उन अधूरे रिश्तों को अभी गाँठना बाकी है,, रुक जा न ऐ ज़िंदगी,, हाल-ऐ-दिल बताना बाकी है,, कई मर्म मिटाना बाकी है,, कई फ़र्ज़ चुकाना बाकी है,, #😢कृति सिंह ©Krati Singh ऐ ठाकुर सरकार कृपा करो #Corona_Lockdown_Rush