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ए ख़ुदा ये कैसा इंसाफ तेरा है:- कि आज शहर उसका है,

ए ख़ुदा ये कैसा इंसाफ तेरा है:-
कि आज शहर उसका है, इंतज़ार भी उसका है
और यहाँ कल शाम तक होना इम्तेहान मेरा है॥
ए ख़ुदा आख़िर बता न ये कैसा इंसाफ तेरा है..!!!

©Death_Lover
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