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माना की मैं अंधों के शहर में आइना बेचता हूँ, रास्त

माना की मैं अंधों के शहर में आइना बेचता हूँ,
रास्ता कैसा भी हो मंज़िल तक पहुचने का हौसला रखता हूँ #hausla #aashavaadi #thoughtandquote
माना की मैं अंधों के शहर में आइना बेचता हूँ,
रास्ता कैसा भी हो मंज़िल तक पहुचने का हौसला रखता हूँ #hausla #aashavaadi #thoughtandquote
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