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ये बन्द परिन्दा भी एक दिन पंख अपने खोलेगा हवाओं स

ये बन्द परिन्दा भी एक दिन पंख अपने खोलेगा 
हवाओं से डरता मुसाफिर,आंधियों को झेलेगा
आज धाराओं के संग बहता कश्ती सा,
कल धाराओं को चीरेगा
मै उनमे से नही, जो मंजिल के लिये मुकद्दर को दोष दूँ 
आज बेशक हू खामोश मगर
कल मेरा संघर्ष  ही बोलेगा।।

©MD Shahadat by #mdshahadat #motivation #ummid #motivational_quotes #shayri #motivational_poem #hindi_poem 

#Books
ये बन्द परिन्दा भी एक दिन पंख अपने खोलेगा 
हवाओं से डरता मुसाफिर,आंधियों को झेलेगा
आज धाराओं के संग बहता कश्ती सा,
कल धाराओं को चीरेगा
मै उनमे से नही, जो मंजिल के लिये मुकद्दर को दोष दूँ 
आज बेशक हू खामोश मगर
कल मेरा संघर्ष  ही बोलेगा।।

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MD Shahadat

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