हृदय में पीड़ा का एक लावा धधक रहा है, एक ज्वालामुखी अनवरत मेरे भीतर पनप रहा है, इसके मुहाने बैठा मैं प्रतीक्षा कर रहा हूं, इसके फटने की, अपने खण्डित से व्यक्तित्व के खण्ड खण्ड बिखरने की, अहा! पीछे छोड़ जाऊंगा तुझे वधिर करता एक लम्बा सा मौन, अपने अश्रुओं की लवणता, और एक खोखली सी हंसी जो मैं सदा साधे रहा मात्र तेरे लिए। ©Harendra Singh Lodhi मौन #दर्द #पीड़ा #वेदना #बिछोह #विरह #हिज्र #हिन्दीसाहित्य #हिंदी