Nojoto: Largest Storytelling Platform

अमृत की पान कराने आये थे विष की घड़ा तुम छोड़ रहे हो

अमृत की पान कराने आये थे विष की घड़ा तुम छोड़ रहे हो.. 
सत्तर साल की बगिया के हर टहनी तो तुम तोड़ रहे हो.. 
देश की जनता भूखे मर रही रोजगार छिन रही हाथों से.. 
और बाहर में कहते हो की मेरे देश में बहुत बुलंदी है. 
मैं लिख रहा हुं उसको जिसको लिखने पर पाबंदी है..
:- संतोष 'साग़र' #निरंकुश  इं. अंकुर सिंह Yash Srivastava  Ek deewana meet kashi sing Shivam❤️Angel..
अमृत की पान कराने आये थे विष की घड़ा तुम छोड़ रहे हो.. 
सत्तर साल की बगिया के हर टहनी तो तुम तोड़ रहे हो.. 
देश की जनता भूखे मर रही रोजगार छिन रही हाथों से.. 
और बाहर में कहते हो की मेरे देश में बहुत बुलंदी है. 
मैं लिख रहा हुं उसको जिसको लिखने पर पाबंदी है..
:- संतोष 'साग़र' #निरंकुश  इं. अंकुर सिंह Yash Srivastava  Ek deewana meet kashi sing Shivam❤️Angel..