वो दिन का रात से शाम को मिलना वो मेरा मुझसे तेरी बातों में मिलना बड़ा अच्छा लगता है। मेरी हर उदासी के मतलब निकालना अपनी वो बेवकूफाना बातों से मुझे हसाना बड़ा अच्छा लगता है। मेरी वो बेपरवाह हंसी का, तेरी मुस्कुराहटों में दिखना मेरे अल्फाजों में खुदको , तेरा वो तलाशना बड़ा अच्छा लगता है। तेरे चेहरे पर बिखरे हुए जुल्फों का होना जैसे काली रात में चांद का चमकना बड़ा अच्छा लगता है। बरसात के बाद इन्द्रधनुष के मानिंद रंगो से सजे तेरे होंठों का होना उन आंखों की गहराई में छिपा एक झील सा होना बड़ा अच्छा लगता है। वो अम्राईयों से कोयल की तरह मुझे पुकारना नदियों की तरह वो तेरी पायलों का छन छन करना बड़ा अच्छा लगता है। तेरा वो दरखतों सा ठंडक पहुंचाना तपती जून में भी सावन की यादें ताज़ा करना बड़ा अच्छा लगता है। -२ वो दिन का रात से शाम को मिलना वो मेरा मुझसे तेरी बातों में मिलना बड़ा अच्छा लगता है। मेरी हर उदासी के मतलब निकालना अपनी वो बेवकूफाना बातों से मुझे हसाना बड़ा अच्छा लगता है।