मुझ नारी को कमजोर समझने वाले । कमजोर समझ कर वार न करना। मुझ पर बार-बार उठती तुम्हारी ऊँगली। चुप हूं मैं फिर भी , मेरी चुप्पी को , ये गलती है तुम्हारी मुझे लाचार समझना । मुझ पर हाथ उठाने वाले , गन्दी नज़र गड़ाने वाले, मेरी तरफ अपनी राह मोड़ न लेना। समझ रहे हो जो तुम फूल मुझे, कोमल समझ कर तोड़ न लेना। माँ बन कर तुम्हारा वंश चलाने वाली मैं । मैं ही ममता की सागर हूँ । हर कष्ट को अपने अंदर लेने वाली , मैं अबला नही , मैं ही सुख से भरी गागर हूँ। कमजोर समझ कर मुझे भूल न करना । रानी झांसी की भांति मुझे आता है लड़ना। कोमल हु , मैं जन्मी कांटे हजार लिये । शीतल पानी जैसी मैं ,ज्वालामुखी सी अंगार लिए । मैं दुर्गा भी हु , मैं काली भी। मैं ही सूखा , मैं ही हरियाली भी। ✍️रिंकी मुझ नारी को कमजोर समझने वाले । कमजोर समझ कर वार न करना। मुझ पर बार-बार उठती तुम्हारी ऊँगली। चुप हूं मैं फिर भी , मेरी चुप्पी को , ये गलती है तुम्हारी मुझे लाचार समझना । मुझ पर हाथ उठाने वाले , गन्दी नज़र गड़ाने वाले,