एक वक्त था जब केवल में ही रहता था तुम्हारी सारी उलझनों में जो दिन भर होती थी तुम्हे मेरी स्मृतियों से पर अब जब हम ला चुके हैं अपने बीच में एक दीवार विरह वेदना के चिरंजीवी वक्त के पहर की जो बढ़ती ही जा रही है हर घड़ी और कम होता जा रहा हूं में उन तमाम स्मृतियों में से हर लम्हा अब कितना शेष हूँ तुम्हारी स्मृतियों में, ये तय कर चुका है वक्त और बताएगा मुझे कराएगा एहसास इस का हर घड़ी जीवन के अंत तक... #राधाकादीवाना #yqdidi #yqbaba #yqquotes #yourquotedidi #कोराकाग़ज़ #दिल_की_बात #स्मृतियाँ