परिभाषा प्रेम करे जो राधा सा तुमको "कान्हा मानकर न पाने की चाह रखी न कोई मांगा अधिकार मन के धागो से बंधा राधा रानी का प्यार ******†************ साथ निभाये सीता सा तुमको राम जानकर सुख से तुम्हारे ही नहीं दुख से भी जुडी नियति मानकर वचनों से जीवन की सांसे बांधी जानकी चली सब सहनकर सीता का समर्पण रघुकुल का मान सीता के प्रेम का आधार परिभाषा